सामाजिक क्रांति के अजेय योद्धा पेरियार ई. वी. रामासामी के जन्मदिवस की तहेदिल से हार्दिक बधाई।
सन् 1928 में मद्रास में ‘ आत्म सम्मान आंदोलन ‘ के कार्यकर्त्ताओं की सभा को संबोधित करते हुए पेरियार ई. वी. रामासामी ने कहा था कि मानव कल्याण के मार्ग में चाहे जैसी भी बाधाएं हो, सबको किसी भी कीमत पर रास्ते से हटा देना चाहिए। पेरियार ने अपने वास्तविक और अकाट्य तर्कों से यह सिद्ध कर दिया कि ब्राह्मणी धर्म का उपयोग आर्य- ब्राह्मण लोग वस्तुत: शोषण के लिए पासपोर्ट के रुप में करते हैं।
विदेशी आर्य – ब्राह्मणों तथा उनकी अन्याय, असमानता, बर्बरता एवं क्रूरता पर आधारित अमानवीय, आर्य-ब्राह्मणी व्यवस्था के विरुद्ध तथागत बुद्ध, राष्ट्रपिता जोतीराव फूले, छत्रपति शाहूजी महाराज, बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर, कबीर, रैदास,दादू, गुरुनानक, तुकाराम, बिरसा मुंडा आदि अनेक महानायकों ने आर्य -ब्राह्मणों द्वारा लगाये अमानवीय और अन्याय पर आधारित वर्ण और जाति के विष वृक्ष को उखाड़ फेंकने का आजीवन कार्य किया। उन्हीं में से एक पेरियार भी थे। जिन्होंने ब्राह्मणी पाखंडों, रुढ़ियों अर्थात मानसिक गुलामी से मूलनिवासी बहुजन समाज को मुक्त एवं स्वतंत्र करने का प्रयास किया। उनके कार्यों एवं संघर्षों की छाप आज भी दक्षिण भारत की सामाजिक एवं राजनैतिक व्यवस्था पर साफ देखी जा सकती है।
भारत के इतिहास, समय एवं अनारिय के दिलों में अपने संघर्षों और आंदोलनों की अमिट छाप छोड़ने में सफल सामाजिक क्रांति के अजेय योद्धा को उनके जन्मदिवस पर विनम्र अभिवादन।
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