यह तस्वीर बिहार के सारण चंपारण वैशाली मैं बाढ़ आए हुए लोगों की स्थिति बयान करती है करीब 2 हफ्ते से यहां के लोगों की जीवन अस्त-व्यस्त है।
आप तस्वीरों में देख सकते हैं कि किस तरह बाढ़ पीड़ित अपनी जान अपनी जान को बचाने कि मैं बेबस हैं लोगों के पास अपनी ही जान बचाने के लिए किसी किस्म की कोई सुविधा नहीं है वह लोग अपनी जान को हथेली में लेकर इस भीषण बाढ़ में केले के फॉर्म या पेड़ के साथ अपनी जान को बचाने के लिए थे निकले हैं
आखिर कब तक ऐसी स्थिति बनी रहेगी क्या सरकार इनकी जिंदगी को ऐसी ही खेलने के लिए छोड़ दें
विधानसभा इलेक्शन में अपनी राजनीतिक रोटी सेकने के लिए अरबों खरबों खर्च करती है क्या पक्ष हो या विपक्ष तमाम पार्टियां दिन भर में चुनाव के वक्त 50 100 हेलीकॉप्टर इससे अधिक आसमान में उड़ा दी है सिर्फ वोट मांगने के लिए और जनता को उल्लू बनाने के लिए क्या अमान की जान बचाना इनका फर्क नहीं है?
विधानसभा चुनाव में 32 हेलिकॉप्टर उड़ाने वाले राजनीतिक दलों के नेता और सरकार , बाढ़ में फँसे व भूख से तड़पते जिन्दगी के लिए जद्दोजहद करने वाले लोगों को बचाने एवं राहत पहुँचाने के लिए महज एक अदद हेलिकॉप्टर की इन्तेजाम करने में पूरी तरह नाकाम व अक्षम साबित हो रहे हैं
सवाल है कि जब चुनाव में सत्ताधारी दलों के साथ साथ दूसरी दल लाखों-करोड़ों फूँककर हेलिकॉप्टर उड़ा सकते हैं तो संकट में फँसे लोगों की जान-माल की हिफाजत के लिए क्यों नहीं- -?
क्यों सिर्फ निकम्मी और अक्षम सरकार के हवाले लाचार व बेबस लोगों को छोड़ दिया जाना चाहिए–?
क्यों चुनाव के समय राष्ट्रीय स्तर की नेता होने की ढोल पीटने वाले आम जनता की संकट- समस्या के समाधान में पंचायत स्तरीय नेताओं के जैसे भी सक्षम नहीं हो पा रहे हैं—?
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